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पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां

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विवरण: पैगंबर लूत के जीवन की घटनाएं।

द्वारा Aisha Stacey (© 2012 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 24 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,785 (दैनिक औसत: 4)


उद्देश्य:

·कई घटनाओं की जानना और 21वीं सदी में लागू होने वाले मूल्यवान सबक सीखना।

अरबी शब्द:

·लूत - पैगंबर लॉट का अरबी नाम।

GlimpsesLivesProphets2.jpgक़ुरआन में कई कहानियां अल्लाह की प्रकृति के बारे मे है, कुछ हिस्से हमें स्वर्ग और नर्क के बारे में बताते हैं, लेकिन फिर भी क़ुरआन के अन्य हिस्से हमें सबक सिखाते हैं। ये सबक आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि क़ुरआन के प्रकट होने के समय या मानव जाति के इतिहास में उससे भी पहले थे। बाइबिल और क़ुरआन दोनों में पैगंबर लूत की कहानी उल्लेखनीय रूप से समान है। पैगंबर लूत की कहानी विशेष रूप से 21वीं सदी के लिए प्रासंगिक है, फिर भी आमतौर पर लोगों को इस कहानी के बारे मे बहुत कम पता है।

आज सदियों बाद लूत की कहानी सिर्फ नैतिकता की कहानी बन गई है, एक दृष्टांत चेतावनी जो लोगों को समलैंगिकता से दूर रहने को कहती है। आमतौर पर हम सभी सुनते हैं कि लूत सदोम शहर में रहने वाला अल्लाह का एक बंदा था, जिसकी जाती के लोग समलैंगिकता के अप्राकृतिक कृत्य मे पड़ गए थे, अल्लाह ने इस तरह के व्यवहार को घृणित कहा और लूत और उसके परिवार के अधिकांश लोगों को छोड़कर पुरे शहर को नष्ट कर दिया। हालांकि लूत की कहानी इससे कहीं अधिक है, यह मानवजाति के लिए सबक से भरी हुई कहानी है। आइए हम उनके जीवन की एक झलक देखें और देखें कि हम इससे क्या संदेश ढूंढ और सीख पाते हैं।

सबक 1

अल्लाह ने सदोम को उन अपराधों और पापों के लिए नष्ट कर दिया जिन्हें हम आज अपने चारों ओर देखते हैं और स्वीकार करते हैं।

आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां हत्या आम बात है, ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हैं और युवा लड़कियां बिना शादी के गर्भवती हो जाती हैं। पहचान चुरा ली जाती है, पापपूर्ण कृत्यों को मस्ती कहा जाता है, और कुछ सड़कों पर दिन में चलना भी असुरक्षित होता है। बाल यौन शोषण, बाल वेश्‍यावृती और मानव तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। नष्टधर्मी जीवन शैली को स्वीकार किया जाता है और सामान्य माना जाता है। शराब कम उम्र के बच्चों के लिए भी आसानी से उपलब्ध है और समाज की कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। पैगंबर लूत के लोग हमारे जैसे ही समाज में रहते थे।

सदोम शहर हर तरह से भ्रष्ट था। अधिकांश लोगों को कोई शर्म नहीं थी और वे पापपूर्ण कृत्यों को मज़ेदार और तुच्छ समझते थे। सदोम एक पार्टी का शहर था, अपराधी और आपराधिक गतिविधि बहुत अधिक थी, और जो इस शहर से गुजरते थे उन्हें डकैती और शारीरिक शोषण का जोखिम था। बलात्कार को सामान्य माना जाता था, समलैंगिकता को मज़ेदार माना जाता था और आतिथ्य की उम्मीद करने वाले यात्रियों को आमतौर पर उससे अधिक मिलता था जिसकी वो उम्मीद करते थे। सदोम एक ऐसा शहर था जिसमे जाने से लोग डरते थे।

सबक 2

ज्ञान और दयालु शब्दों के साथ लोगों को सच्चाई के लिए आमंत्रित करना।

“अपने पालनहार की राह (इस्लाम) की ओर तत्वदर्शिता तथा सदुपदेश के साथ बुलाएं और उनसे ऐसे अंदाज़ में शास्त्रार्थ करें, जो उत्तम हो।...” (क़ुरआन 16:125)

अल्लाह ने पैगंबर लूत को इस शहर में सिर्फ एक अल्लाह की पूजा करने के संदेश के साथ भेजा था। लूत ने लोगों को अल्लाह से डरने और अपने बुरे तरीके को सुधारने के लिए कहा, "क्या तुम अल्लाह से नहीं डरते हो और उसकी आज्ञा का पालन नहीं करते हो? वास्तव में, मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार दूत हूं। अतः अल्लाह से डरो और मेरा अनुपालन करो" (क़ुरआन 26:161-163)। लूत ने कोमल शब्दों का प्रयोग किया; उन्होंने लोगों की नहीं बल्कि उनके कार्यों की निंदा की और उन्हें क्षमा मांगने के लिए प्रोत्साहित किया। इसमें निश्चित रूप से हमारे लिए एक सबक है। लूत ने उन लोगों से दयालुता से बातें कीं जिन्हें अल्लाह ने दुष्ट और अवज्ञाकारी बताया, इसलिए जब हम 21 वीं सदी में बुरे लोगों से मिलें तो इसे याद रखना चाहिए। कार्य की निंदा करें, व्यक्ति की नहीं। पैगंबर मुहम्मद का भी यही तरीका था; वह भी कार्य के बारे में कठोर बोलते थे, न कि उस व्यक्ति के बारे में जो कार्य को करता था।

सबक 3

अल्लाह सब देखता है।

दुर्भाग्य से सदोम के लोगों ने लूत की बातों को न माना क्योंकि लोग अपने भ्रष्ट तरीकों से संतुष्ट थे और इसे छोड़ना नही चाहते थे। सदोम के लोगों ने खुलेआम पाप किए और उन्हें कोई शर्म नहीं थी, उन्हें परवाह नहीं थी कि कोई उनके पापी कार्यों को देखा रहा है या नहीं, इसलिए उन्हें चिंता नही थी कि अल्लाह देख रहा था। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम अपने पापों को छुपाते हैं या नहीं, अल्लाह सब कुछ देखता है, सर्वशक्तिमान से कुछ भी छुप नही सकता है। यदि हम अपने कार्यों से शर्मिंदा हैं और सोचते हैं कि अल्लाह ने हमारे व्यवहार को नहीं देखा, तो शायद यह पुनर्विचार करने का समय है, और ऐसे कार्य करने की कोशिश करें जिससे अल्लाह अधिक प्रसन्न हो।

सबक 4

विश्वासियों को मेहमाननवाजी होना चाहिए।

जब स्वर्गदूत सदोम शहर में गए, तो वे लोगों को बहुत ही आकर्षक पुरुष यात्री लगे। उन्होंने जिस पहले मनुष्य से बात की वह लूत की बेटियों में से एक थी। वह उनके लिए डरी और कहा कि मेरे पिता की प्रतीक्षा करें ताकि वह तुम्हे सुरक्षित जगह ले जाएं। जब लूत अजनबियों से मिले तो वह उन्हें शहर से दूर हो कर जाने के लिए मना न सके इसलिए उन्होंने उन्हें अपने घर में सुरक्षित रखने की कोशिश की। लूत नहीं जानते थे कि उसके मेहमान अल्लाह के भेजे हुए स्वर्गदूत हैं, और वह अपनी सुरक्षा से ज़्यादा उनके लिए चिंतित थे। जब सदोम के लोग उनके घर के बाहर इकठ्ठा हो गए और कहने लगे की अजनबियों को उनके हवाले कर दिया जाए, तो लूत ने उनका विरोध किया।

मेहमाननवाजी में भलाई अल्लाह को खुश करने के अलावा किसी अन्य कारण से नहीं करना चाहिए। जिस व्यक्ति की आप मदद करते हैं वह आपकी कभी भी मदद नही कर सकता है और कुछ मामलों में वह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है, हालांकि इस्लाम में मेहमाननवाजी मेजबान, अजनबी और अल्लाह के बीच त्रिकोणीय संबंध है। किसी अजनबी को सहारा देना आप पर एक अजनबी के अधिकार का हिस्सा है - यह कोई उपहार नहीं है जिसे आप देते हैं, और इसे देने का कर्तव्य किसी अजनबी का नहीं बल्कि अल्लाह का है।

पैगंबर लूत की अधिक विस्तृत कहानी यहां है:
http://www.islamreligion.com/articles/1879/

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