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स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
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स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
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स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
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स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
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स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
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स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
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स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
-
स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
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भूलने का सजदा
विवरण: यह पाठ समझाएगा कि जब आप नमाज़ पढ़ते समय गलती करते हो तो विभिन्न स्थितियों मे क्या करना चाहिए।
द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 27 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,685 (दैनिक औसत: 4)
आवश्यक शर्तें
·नमाज़ - उन्नत
उद्देश्य
·'सजदा अस-सौह' का अर्थ जानना।
·उन स्थितियों को जानना जब यह किया जाता है।
·यह जानना कि अगर रुक्न, वाजिब, या नमाज़ का अनुशंसित कार्य छूट जाये तो क्या करना चाहिए ।
·सजदा अस-सौह करने की दो विधियां सीखना।
·कुछ सामान्य उदाहरणों को समझना कि सजदा अस-सौह कब करना है।
अरबी शब्द
·इमाम - नमाज़ पढ़ाने वाला।
·रकात - नमाज़ की इकाई।
·रुक्न - (बहुवचन: अर्कान) आवश्यक घटक; वह स्तंभ जिसके बिना कुछ भी खड़ा नहीं हो सकता।
·सजदा - साष्टांग प्रणाम।
·सजदा अस-सौह - भूलने का सजदा।
·नमाज - आस्तिक और अल्लाह के बीच सीधे संबंध को दर्शाने के लिए अरबी का एक शब्द। अधिक विशेष रूप से, इस्लाम में यह औपचारिक पाँच दैनिक प्रार्थनाओं को संदर्भित करता है और पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप है।
·तकबीरतुल-एहराम - 'अल्लाहु अकबर' कहना जिससे नमाज़ शुरू होती है।
·तशह्हुद - नमाज़ मे बैठने की स्थिति मे "अत-तहियातु लिल्लाहि… मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुह" कहना।
·तसलीम - शांति का वह सलाम जिससे नमाज़ पूरी होती है।
·वाजिब - (बहुवचन: वाजिबात) अनिवार्य।
अर्थ
साष्टांग प्रणाम का अरबी शब्द 'सजदा' है। इसका अर्थ है सिर, हाथ, घुटने और पैर की उंगलियों को जमीन पर रखना। नमाज़ मे की गई बड़ी गलतियों के लिए नमाज़ के अंत में किए गए दो सजदों को अरबी मे 'भूलने का सजदा' या सजदा अस-सौह कहा जाता है।
महत्त्व
हम इंसान स्वभाव से भुलक्कड़ होते हैं और जब हम अल्लाह से प्रार्थना कर रहे होते हैं तब भी भूल जाते हैं। हमारा निर्माता इस तथ्य को अच्छी तरह जानता है और उसने अपने पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) को नमाज़ मे कुछ अवसरों पर भुलवा दिया। इस तरह पैगंबर ने हमें दिखाया कि नमाज़ मे अपनी गलतियों को कैसे सुधारा जाए। नमाज़ मे हमारी गलतियों के लिए अल्लाह की ओर से एक बड़ी दया है क्योंकि वह हमें हर गलती के लिए फिर से नमाज़ पढ़ने का आदेश दे सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
भूलने के सजदे की आवश्यकता कब होती है?
वे दो अवसर हैं जब इनकी आवश्यकता होती है:
I.जब आप सलाहा के कृत्यों मे कुछ जोड़ते या घटाते हैं।
जोड़ने के उदाहरण:
आपने 4 की जगह 5 रकात नमाज़ पढ़ ली।
आपने दो के बजाय तीन सजदे कर लिए।
आपने पहली रकात के अंत में तशह्हुद पढ़ ली।
घटाने का उदाहरण:
आपने 4 की जगह 3 रकात नमाज़ पढ़ ली।
आपने दो की जगह एक सजदा किया।
आप पहली तशह्हुद पढ़े बिना तीसरी रकात के लिए खड़े हो गए।
II.जब आप रकातो की संख्या भूल जाते हैं और संदेह में होते हैं, (उदाहरण के लिए) आपने चार रकात पढ़ी है या तीन।
रुक्न भूलना (नमाज़ का आवश्यक घटक या स्तंभ)
यदि आप तक्बीरतुल-एहराम छोड़ देते हैं, तो आपकी नमाज़ नही होगी, चाहे आपने इसे जानबूझकर छोड़ा हो या भूल गए हो, क्योंकि इसका अर्थ है आपने नमाज़ शुरू ही नहीं की।
यदि आप तक्बीरतुल-एहराम के अलावा किसी रुक्न को जानबूझकर छोड़ देते हैं, तो आपकी नमाज़ मान्य नही होगी।
अगर भूलने की वजह से आपने एक रुक्न छोड़ दिया और अगली रकात पर पहुंच गए, तो जिस रकात मे आपने रुक्न छोड़ा है वह अमान्य है और इसकी जगह अगली रकात ले लेगी।
यदि आप अगली रकात तक नहीं पहुंचे हैं, तो आपको उस रुक्न पर लौटना चाहिए जिसे आपने छोड़ दिया है और उसे करना चाहिए और नमाज़ मे उसके बाद जो आता है वो करना चाहिए।
उपरोक्त दोनों स्थितियों में, आप "भूलने का सजदा" करेंगे।
वाजिब (नमाज़ का अनिवार्य कार्य) भूलना
यदि आप भूल से कोई वाजिब छोड़ देते हैं, जैसे पहली तशह्हुद या सजदा, तो आप नमाज़ के अंत में बस सजदा अस-सौह करें। हालांकि, अगर इसे जानबूझकर छोड़ दिया जाये, तो नमाज़ मान्य नही होगी।
नमाज़ मे एक अनुशंसित कार्य भूलना
यदि आप प्रार्थना के अनुशंसित कार्यों में से कोई एक करना भूल जाते हैं, तो आपको "भूलने का सजदा" करने की आवश्यकता नहीं है।
सजदा अस-सौह की विधि
आपके पास इसे करने की दो विधियां है:
1. नमाज़ के अंत में तसलीम से ठीक पहले।
तसलीम से नमाज़ पूरी करने से पहले, आप अल्लाहु अकबर कहें, और फिर पहला सजदा करें।
सजदे मे तीन बार कहें, सुभा-ना रब्बियल अला। फिर आप अल्लाहु अकबर कहें और बैठ जाएं।
फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहें और दूसरा सजदा करें और वही शब्द पढ़ें जो आपने पहले सजदे मे पढ़े थे।
आप फिर आखिरी बार अल्लाहु अकबर कहें, बैठ जाएं, और हर बार "अस-सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह" कहते हुए अपने सिर को दाईं ओर और फिर बाईं ओर घुमाएं।”
2. इसे तसलीम के बाद करना।
दूसरा तरीका यह है कि अपनी नमाज़ जारी रखें और इसे तसलीम के साथ पूरी करें जैसा कि आप सामान्य रूप से करते हैं।
इसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहें और पहला सजदा करें, और तीन बार सुभा-ना रब्बियल अला पढ़ें। फिर आप अल्लाहु अकबर कहें और बैठ जाएं।
फिर आप दोबारा अल्लाहु अकबर कहें और अपना दूसरा सजदा करें और तीन बार सुभा-ना रब्बियल अला पढ़ें।
अंत में, आप आखिरी बार अल्लाहु अकबर कहें और बैठ जाएं, और फिर अपना चेहरा दाईं ओर घुमाते हुए "अस-सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह" कहें।
अधिक नोट्स/उदाहरण
1. यदि आपको तसलीम करने से पहले ध्यान आता है कि आपने नमाज़ में कुछ जोड़ा है, उदाहरण के लिए एक अतिरिक्त रकात, तो आप तसलीम से पहले या बाद में सजदा अस-सौह कर सकते हैं।
2. यदि आपने एक या एक से अधिक रकात नही पढ़ी है तो खड़े होकर उन्हें पूरा करना चाहिए, फिर नमाज़ के अंत में सजदा अस-सौह करें।
3. यदि आप सजदा अस-सौह करना भूल गए हैं, लेकिन कुछ देर बाद याद आए तो याद आते ही कर लेना चाहिए। हालांकि, यदि अधिक समय बीत चुका है, तो आपको कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है और आपकी नमाज़ मान्य होगी।
4. यदि इमाम सजदा अस-सौह करता है, तो उसके पीछे बाकी सभी लोग भी करेंगे, भले ही किसी व्यक्ति ने गलती न की हो।
5. यदि आप किसी इमाम के पीछे गलती करते हैं, तो आपको अपना सजदा अस-सौह नहीं करना चाहिए क्योंकि पैगंबर ने कहा है, "वास्तव में, इमाम को लोगो द्वारा अनुसरण करने के लिए बनाया गया है।”[1]
6. यदि आप इस बारे में अनिश्चित हो कि आपने कितनी रकात नमाज़ पढ़ी है, तो आप क्या करोगे? आप जिस संख्या के बारे में अधिक निश्चित हो उसे मान लो। उदाहरण के लिए, चार रकात की नमाज़ में, आपको लगता है कि आपने तीन रकात पढ़ी है, तो आपको एक और रकात पढ़ना चाहिए और सजदा अस-सौह करना चाहिए। अगर आपको लगता है कि आपने चार रकात पढ़ी है, तो आपको बस इतना करना है कि अंत मे सज्दा अस-सौह करना है। यदि आप यह तय करने में असमर्थ हैं कि दोनों में से कौन अधिक संभावित है, यह तीन रकात भी हो सकती है या चार भी, तो आप कम संख्या माने, यानी तीन रकात माने। आप एक और रकात पढ़ें और फिर सजदा अस-सौह करें।
पिछला पाठ: इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
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- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
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भूलने का सजदा
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