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नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)

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विवरण: यह पाठ दैनिक अनुष्ठान प्रार्थना (नामज़) के "आवश्यक घटकों" को सिखाएगा और नमाज़ को अमान्य करने वाले कार्यो के बारे मे बताएगा।

द्वारा Imam Mufti (© 2015 IslamReligion.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 23 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,962 (दैनिक औसत: 4)


उद्देश्य

·नमाज़ के अरकान सीखना।

·नमाज़ को अमान्य करने वाले पांच कार्यो को जानना।

अरबी शब्द

·नमाज - आस्तिक और अल्लाह के बीच सीधे संबंध को दर्शाने के लिए अरबी का एक शब्द। अधिक विशेष रूप से, इस्लाम में यह औपचारिक पाँच दैनिक प्रार्थनाओं को संदर्भित करता है और पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप है।

·रुक्न - (बहुवचन: अर्कान) आवश्यक घटक; वह स्तंभ जिसके बिना कुछ भी खड़ा नहीं हो सकता।

·क़िबला - जिस दिशा की और रुख कर के औपचारिक प्रार्थना (नमाज) करी जाती है।

·सूरह - क़ुरआन का अध्याय।

·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।

·तशह्हुद - नमाज़ मे बैठने की स्थिति मे "अत-तहियातु लिल्लाहि… मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुह" कहना।

·वूदू - वुज़ू।

·वाजिब - (बहुवचन: वाजिबात) अनिवार्य।

विद्वान नमाज़ के विभिन्न कार्यों और कथनों को आवश्यक घटकों (अर्कान), अनिवार्य कृत्यो (वाजीबात) और अनुशंसित में वर्गीकृत करते हैं।

Prayers-Advanced.jpgरुक्न (आवश्यक घटक) और वाजिब (अनिवार्य कृत्य) के बीच का अंतर यह है कि किसी रुक्न को छोड़ा नहीं जा सकता है, चाहे कोई इसे जानबूझकर या गलती से छोड़े, बल्कि इसे करना ही पड़ता है। अगर कोई वाजिब (अनिवार्य कृत्य) भूल जाता है, तो इसे माफ कर दिया जाता है, और इसकी भरपाई "भूलने का सज्दा" (इस पर बाद में चर्चा की जाएगी) करके की जा सकती है।

इस पाठ में हम सबसे पहले अरकान (आवश्यक घटक) सीखेंगे।

नमाज़ के आवश्यक घटक (अरकान)

1. शुरुआत में 'अल्लाहु अकबर' कहना

पैगंबर ने गलत तरीके से नमाज़ पढ़ने वाले व्यक्ति से कहा, "फिर क़िबला की तरफ मूंह करो और अल्लाहु अकबर कहो।[1]

2. सूरह अल-फातिहा पढ़ना

पैगंबर ने कहा, "उस व्यक्ति की कोई नामज़ नहीं है जो क़ुरआन की शुरुआत (सूरह अल-फातिहा) नहीं पढ़ता है।[2]

3. यदि कोई खड़े रहने मे सक्षम है तो अनिवार्य नमाज के दौरान खड़े रहना

इस छंद के आधार पर, "तथा अल्लाह के लिए विनय पूर्वक खड़े रहो" (क़ुरआन 2:238)

इसके अलावा पैगंबर ने कहा, "खड़े होकर नमाज़ पढ़ो; यदि आप खड़े रहने मे सक्षम नहीं हो, तो बैठकर नमाज़ पढ़ो; यदि आप बैठने मे सक्षम नही हो, तो एक करवट लेट कर नमाज़ पढ़ो।”[3]

4. झुकना

पैगंबर ने गलत तरीके से नमाज़ पढ़ने वाले व्यक्ति से कहा, "आराम से झुको जब तक कि तुम्हे झुकने में आराम महसूस न हो।”[4]

और उस स्थिति में तब तक बने रहें जब तक आप "आराम" प्राप्त नहीं कर लेते।

इस मामले के महत्व के बारे में बताते हुए पैगंबर ने कहा, "सबसे बुरे लोग वो चोर हैं जो नमाज़ का हिस्सा चुराते हैं।" उनसे पूछा गया कि यह कैसे होता है, और उन्होंने उत्तर दिया, "वह जो झुकते और सज्दा सही से नहीं करते है," या उन्होंने कहा, "वह जो अपनी पीठ को झुकते और सज्दा करते समय सीधा नहीं करते हैं।”[5]

“जो झुकने और सज्दा करते समय अपनी पीठ सीधा नही करते हैं, उनकी नमाज़ पूरी नहीं होती है।”[6]

5. झुककर उठना

यह हदीस पर आधारित है , "फिर उठो जब तक तुम सीधे खड़े न हो जाओ।" (बुखारी, मुस्लिम)

6. सज्दा

यह हदीस पर आधारित है , "फिर आराम से सज्दा करो।"

7. दो सज्दों के बीच बैठना

यह हदीस पर आधारित है, "फिर उठो जब तक तुम आराम से न बैठ जाओ।

8. शांति प्राप्त करना

एक व्यक्ति ने शांति प्राप्त किए बिना बहुत तेजी से नमाज़ पढ़ी। पैगंबर ने उसकी गति को अस्वीकार कर दिया और कहा, "आपने नमाज़ नहीं पढ़ी है।”

शांति प्राप्त करने का अर्थ है कि एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने से पहले शरीर का प्रत्येक अंग उचित स्थिति मे हो।

9. अंतिम तशह्हुद पढ़ना

यह नमाज़ की अंतिम बैठक में किया जाता है। तशह्हुद के शब्दों को पैगंबर ने खुद सिखाया था। पैगंबर के एक साथी, इब्न मसूद ने कहा, "तशहहुद पढ़ने के अनिवार्य होने से पहले, हम पढ़ते थे, 'अल्लाह पर शांति हो, और जिब्रील और मिकाइल पर शांति हो।" फिर अल्लाह के दूत ने कहा, 'ऐसा मत कहो बल्कि कहो, 'सब तारीफें अल्लाह के लिए हैं…’”[7].

10. अंतिम तशह्हुद पढ़ने के लिए बैठना

यह नमाज़ की अंतिम बैठक है।

11. अंतिम तशह्हुद के बाद पैगंबर पर आशीर्वाद भेजना

यह अंतिम तशह्हुद पढ़ने के बाद किया जाता है।

12. नमाज़ समाप्त करने के लिए 'अस-सलामु' अलैकुम व-रहमतुल्लाह' कहना

अनिवार्य प्रार्थना में इसे दो बार कहना पड़ता है, लेकिन अंतिम संस्कार की प्रार्थना में इसे एक बार कहना पर्याप्त होता है।

13. आदेश

नमाज़ के सभी "आवश्यक घटकों" को सही क्रम में करने की आवश्यकता है।

वह कार्य जो नामज़ को अमान्य कर देते हैं

कुछ ऐसे कार्य हैं जिनके करने पर नमाज़ अमान्य हो जाती है। इसका मतलब यह है कि व्यक्ति को फिर से नमाज़ पढ़नी होगी।

1. निश्चित होना कि आपका वुज़ू टूट गया है

एक व्यक्ति ने अल्लाह के दूत से शिकायत की, कि उसने नमाज़ के दौरान अपने पेट में कुछ महसूस किया। पैगंबर ने कहा, "जब तक आपको कोई आवाज न सुनाई दे या कोई गंध न आये, तब तक नमाज न रोकें।[8]

इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ आवाज सुनने या गंध महसूस होने पर ही नमाज़ रोकें। यदि आप सुनिश्चित हैं कि आपकी हवा निकली है, तो आपका वुज़ू टूट गया है और आपको फिर से वुज़ू करना चाहिए और फिर से नमाज़ पढ़ना चाहिए।

2. जानबूझकर बिना किसी वैध कारण के रुक्न या नमाज़ की शर्त को छोड़ना

गलत तरीके से नमाज़ पढ़ने वाले व्यक्ति से पैगंबर ने कहा, "फिर से नमाज़ पढ़ो क्योंकि तुम्हारी नमाज़ नही हुई है।”[9]

इसी तरह, पैगंबर ने उस व्यक्ति से फिर से वुज़ू करने और नमाज़ पढ़ने को कहा जिसने वुज़ू करते समय अपने पैरों का ऊपरी हिस्सा नहीं धोया था।[10]

3. नमाज़ पढ़ते समय जानबूझकर खाना या पीना

मुस्लिम विद्वान इस बात से सहमत हैं कि जो व्यक्ति नमाज़ के दौरान जानबूझकर खाता या पीता है, उसे फिर से नमाज़ पढ़ना चाहिए।

4. नमाज़ के दौरान जानबूझकर बाते करना

पैगंबर के साथी ज़ैद इब्न अल-अरक़म ने कहा, "हम नमाज़ के दौरान बाते करते थे। एक व्यक्ति नमाज़ के दौरान अपने साथ मे खड़े व्यक्ति से बाते करता था। ऐसा तब तक होता था जब तक, 'तथा अल्लाह के लिए विनय पूर्वक खड़े रहो' (2:238) प्रकट नही हुआ था। तब हमें चुप रहने का आदेश दिया गया था और बोलने से मना किया गया था।”[11]

5. नमाज़ के दौरान हंसना।

मुस्लिम विद्वान इस बात से सहमत हैं कि हंसने से नमाज़ अमान्य हो जाती है।



फुटनोट:

[1] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[2] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[3] सहीह अल-बुखारी

[4] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[5] हकीम

[6] इब्न खुजैमा, इब्न हिब्बन, तबरानी, ​​बैहाकी

[7] नसाई

[8] बुखारी, मुस्लिम, अबू दाऊद

[9] बुखारी, मुस्लिम

[10] अबू दाऊद

[11] बुखारी, मुस्लिम

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