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स्तर
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स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
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स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
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स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
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स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
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स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
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स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
-
स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
विवरण: इस्लाम की आवश्यक शिक्षाएँ पाँच सिद्धांतों पर आधारित हैं, जिन्हें 'इस्लाम के पाँच स्तंभ' कहा जाता है, और छह मूलभूत मान्यताएँ, जिन्हें 'आस्था के छह अनुच्छेद' के रूप में जाना जाता है। भाग 1: 'इस्लाम' का अर्थ और इस्लाम के पांच स्तंभों की व्याख्या।
द्वारा Imam Mufti
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 27 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 3,221 (दैनिक औसत: 4)
आवश्यक शर्तें
·आस्था की गवाही।
उद्देश्य
·इस्लाम के पांच स्तंभों' के बारे में जानना।
·'इस्लाम' के अर्थ को समझना।
अरबी शब्द
·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।
·काबा - मक्का शहर में स्थित क्यूब के आकार का एक संरचना। यह एक केंद्र बिंदु है जिसकी ओर सभी मुसलमान प्रार्थना करते समय अपना रुख करते हैं।
·नमाज - आस्तिक और अल्लाह के बीच सीधे संबंध को दर्शाने के लिए अरबी का एक शब्द। अधिक विशेष रूप से, इस्लाम में यह औपचारिक पाँच दैनिक प्रार्थनाओं को संदर्भित करता है और पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप है।
·रमजान - इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना। यह वह महीना है जिसमें अनिवार्य उपवास निर्धारित किया गया है।
·सवम - उपवास।
·हज - मक्का की तीर्थयात्रा जहां तीर्थयात्री अनुष्ठानों का पालन करता है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।
·ज़कात - अनिवार्य दान।
·ईमान - आस्था, विश्वास या दृढ़ विश्वास।
इस्लाम की आवश्यक शिक्षाएँ पाँच सिद्धांतों पर आधारित हैं, जिन्हें 'इस्लाम के पाँच स्तंभ' कहा जाता है, और छह मूलभूत मान्यताएँ, जिन्हें 'आस्था के छह अनुछेद' के रूप में जाना जाता है। यह विभाजन पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) की निम्नलिखित प्रसिद्ध हदीस पर आधारित है। उमर, पैगंबर के सबसे करीबी साथियों में से एक, निम्नलिखित घटना से संबंधित है:
"एक बार, जब हम पैगंबर के साथ बैठे थे, एक आदमी हमारे सामने आया, जिसके कपड़े बेहद सफेद थे और बाल बेहद काले थे। ऐसा नहीं लग रहा था की वह कोई यात्रा कर के आया हो और हम में से कोई भी उसे नहीं जानता था। वह अपने घुटनों पर और अपने हाथों की हथेलियों को अपनी जाँघों पर रख कर पैगम्बर के सामने बैठ गया। फिर उसने कहा: 'ऐ मुहम्मद, मुझे इस्लाम के बारे में बताओ।'
पैगंबर ने उत्तर दिया: 'इस्लाम इस बात गवाही देता है कि अल्लाह के अलावा कोई भी ईश्वर पूजा के योग्य नहीं है और मुहम्मद अल्लाह के दूत हैं, नमाज़ पढ़ना चाहिए, अनिवार्य दान (ज़कात) देना चाहिए, रमज़ान में उपवास करना चाहिए, और यदि आप सक्षम हैं तो काबा की तीर्थयात्रा करना चाहिए।'
उसने कहा: 'आपने सच कहा है।'
हम उसके सवाल पूछने और फिर यह कहने पर कि 'आपने सच कहा है' चकित थे!
फिर उसने पूछा: 'मुझे आस्था (ईमान) के बारे में बताओ?'
पैगंबर ने उत्तर दिया: 'अल्लाह और उसके स्वर्गदूतों, उसके धर्मग्रंथों, उसके दूतों और अंतिम दिन पर विश्वास करना, और दैवीय आदेश और इसके मिठास और कड़वाहट दोनों में विश्वास करना आस्था है।'
उसने कहा: 'आपने सच कहा है।'
इसके बाद उमर ने उसके द्वारा पूछे गए कुछ और प्रश्न और पैगंबर द्वारा दिए गए उत्तरों के बारे में बताया। अंत में, जब वह आदमी चला गया, तो पैगंबर ने पूछा:
'ऐ' उमर, क्या आप जानते हैं कि वह प्रश्नकर्ता कौन था?
मैंने कहा: 'अल्लाह और उसके दूत बेहतर जानते हैं।'
पैगंबर ने कहा: 'यह जिब्राईल थे जो आपको आपका धर्म सिखाने के लिए आये थे।'"[1]
'इस्लाम' का अर्थ
अरबी शब्द 'इस्लाम' का अर्थ है ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और पूर्ण त्याग। इसलिए एक 'मुसलमान' वह है जो 'ईश्वर के अधीन हो जाता है।' इस्लाम का अर्थ है केवल अल्लाह के अधीन रहना, केवल अल्लाह की पूजा करना और उसकी सेवा करना और उनके पास भेजे गए पैगंबर पर विश्वास करना और उनका पालन करना। कई गैर-मुसलमानों के लिए, 'इस्लाम' एक ऐसा धर्म है जो सातवीं शताब्दी में मध्य पूर्व में शुरू हुआ था, लेकिन मुसलमानों के लिए, इस्लाम हमेशा आदम (संसार के पहले आदमी) के समय से ही अल्लाह का एकमात्र धर्म रहा है। इस प्रकार, इस्लाम उनके बाद आने वाले सभी पैगंबरो का धर्म था। मूसा के समय में, इस्लाम केवल अल्लाह की पूजा करना और मूसा द्वारा लाए गए शिक्षाओं पर विश्वास करना और उनका पालन करना था, और यीशु के समय में इस्लाम सिर्फ अल्लाह की पूजा करना और यीशु द्वारा लाए गए शिक्षाओं पर विश्वास करना और उनका पालन करना था, क्योंकि वे दोनों ईश्वर द्वारा अपने धर्म को सिखाने के लिए भेजे गए पैगंबर थे। पैगंबर मुहम्मद के आने के बाद, इस्लाम केवल अल्लाह की पूजा करना और पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं पर विश्वास करना और उनका पालन करना है। यद्यपि ईश्वर, परलोक का जीवन और विश्वास की अन्य सभी वास्तविकताओं के बारे में सभी पैगंबरो की शिक्षाएं समान थीं, लेकिन अभ्यास, पूजा और सेवा के तरीकों में मामूली अंतर था, क्योंकि प्रत्येक पैगंबर को एक विशिष्ट राष्ट्र और विशिष्ट अवधि के लिए भेजा गया था। भले ही पिछले धर्म इस्लाम के अंतर्गत आते हैं, मुहम्मद के धर्म को विशेष रूप से ईश्वर द्वारा 'इस्लाम' नाम दिया गया है, क्योंकि यह न्याय के दिन तक मानवता के लिए निर्धारित अंतिम धर्म है।
इस्लाम के पांच स्तंभ
अल्लाह ने पांच कार्यो को अनिवार्य किया है जिस पर पूरा इस्लाम धर्म टिका है। इनके महत्व के कारण, पैगंबर ने एक अन्य हदीस में कहा:
"इस्लाम पांच स्तंभों पर बनाया गया है..."
...और फिर ऊपर जिब्राईल की हदीस में वर्णित पूजा के समान कार्यो का उल्लेख किया गया है।
पूजा के इन कार्यो को इस्लाम के स्तंभ कहा जाता है, और वे इस प्रकार हैं:
1. आस्था की गवाही (शहादह)
आस्था की इस गवाही को दो गवाहियों में संक्षेपित किया जाना चाहिए:
(ए) अल्लाह के अलावा कोई अन्य देवता पूजा के लायक नही है
(बी) मुहम्मद उनके दूत हैं।
आस्था की गवाही (शहादह) पर विश्वास और सत्यापन के माध्यम से इस्लाम में प्रवेश किया जाता है। यह एक केंद्रीय मान्यता है जो एक आस्तिक जीवन भर मानता है, और यह उसकी सभी मान्यताओं और पूजा का आधार है।
2. औपचारिक प्रार्थना (नमाज)
प्रत्येक व्यक्ति को अपने विशिष्ट समय पर पांच दैनिक प्रार्थनाएं करनी चाहिए। प्रार्थना के माध्यम से मुसलमान अल्लाह के साथ अपना रिश्ता कायम रखता है, उसे बार-बार याद करता है, और पाप करने से बचता है।
3. अनिवार्य दान (ज़कात)
जिन लोगों ने एक निश्चित मात्रा में धन जमा किया है, उन्हें सालाना इसका एक विशिष्ट हिस्सा नामित योग्य प्राप्तकर्ताओं के लिए बाँटना होगा।
4. उपवास (सवम)
मुसलमानों को एक चंद्र महीने की अवधि तक उपवास करना चाहिए, जो कि रमजान का महीना है, इसमे उन्हें सुबह से शाम तक भोजन, पेय और संभोग से बचना चाहिए। जैसा कि क़ुरआन में उल्लेख किया गया है, उपवास का उद्देश्य किसी की पवित्रता और ईश्वर-चेतना को बढ़ाना है।
5. तीर्थयात्रा (हज)
मक्का में ईश्वर के घर (काबा) की तीर्थयात्रा हर सक्षम मुसलमान के लिए जीवन में एक बार अनिवार्य है। हज मानवता के भाईचारे और अल्लाह के सामने उनकी समानता का एक भौतिक और दृश्य प्रमाण है।
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
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