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इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)

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विवरण: द्वितीयक उत्तराधिकारी, जिन्हे विरासत नहीं मिल सकती और एक वसीयत का लेखन।

द्वारा Aisha Stacey (© 2017 IslamReligion.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 21 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,350 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य

·उन लोगों के बीच का अंतर समझना जिन्हे विरासत मिल सकती है और जो वसीयत प्राप्त कर सकते हैं। यह समझना कि कानूनी दस्तावेज लिखना जटिल हो सकता है और इसलिए सलाह लेना उपयोगी है।

अरबी शब्द

·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।

·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।

·अल-वसियाह - यह इस्लामिक वसीयत का अरबी शब्द है। यह मृतक की संपत्ति का 1/3 भाग वितरित करता है। वसीयत में उन वारिस को नहीं छोड़ना चाहिए जो वसीयत के हकदार हैं।

·शरिया - इस्लामी कानून।

द्वितीयक उत्तराधिकारी

Islamic_Wills_and_Inheritance_(Part_2_of_2)._001.jpgप्राथमिक उत्तराधिकारियों के बाद अगली श्रेणी को द्वितीयक उत्तराधिकारी कहते हैं। वे एक या अधिक प्राथमिक उत्तराधिकारियों के न होने की स्थिति मे उत्तराधिकारी होते हैं। इन्हे वरीयता क्रम मे सूचीबद्ध किया गया है।

·पोता (पोते), पोती (पोतियां)

·पूर्ण भाई, पूर्ण बहनें

·सौतेले भाई और सौतेली बहनें

·दादा

·पूर्ण भाई का पुत्र

·पैतृक भाई का पुत्र

·चाचा (पिता का पूर्ण भाई)

जिन्हे विरासत नही मिल सकती

हालांकि लोगों की इन श्रेणियों को विरासत नहीं मिल सकतीं, लेकिन इन्हे अल-वसियाह का लाभ मिल सकता है।

1.गोद लिया हुआ बच्चा

2.गैर मुस्लिम। पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि एक विश्वासी की विरासत एक गैर-मुस्लिम को नही मिल सकती और एक गैर-मुस्लिम की विरासत एक विश्वासी को नहीं मिल सकती।[1]

3.मृतक की बेटी के बच्चे।

4.मृतक की बहन के बच्चे।

5.मृतक के भाई की बेटियां।

6.माता की तरफ के सौतेले भाई के बच्चे।

7.मृतक के मां के भाई।

8.मृतक के पिता की बहनें।

9.सभी ससुराल वाले।

10.परिवार के वो सदस्य जिन्हे 'सौतेला' कहा जाता है (अर्थात जो मृतक के माता-पिता की संताने नही हैं।)

11.पूर्व पत्नी या पूर्व पत्नियां।

एक हत्यारा अपने द्वारा मारे गए व्यक्ति का न तो वारिस हो सकता है और न ही वसीयत का लाभ ले सकता है।

नाजायज बच्चे को केवल मां से विरासत मिल सकती है।

जटिलताएं

दुनिया भर में कुछ जगहों पर माता-पिता अपने एक या अधिक बच्चों को त्याग देते हैं। अक्सर एक वसीयत यह दर्शाने के लिए लिखी जाती है कि ऐसे कुछ उत्तराधिकारियों को मृतक की संपत्ति मे से कुछ भी नही मिलेगा। इस्लाम ऐसा करने की अनुमति नही देता है। वारिस अल्लाह निर्धारित करता है और किसी को भी इन निर्देशों को रद्द करने का अधिकार नहीं है। किसी को अपनी विरासत मे से एक सही उत्तराधिकारी को वंचित करने की अनुमति नही है। पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा कि अल्लाह उस व्यक्ति को स्वर्ग में नही भेजेगा जो वारिसों को उनके सही हिस्से से वंचित करने की कोशिश करता है।[2]

हालांकि उत्तराधिकारियों की सूची में सभी पारिवारिक संबंधों और स्थितियों को शामिल करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन कभी-कभी चीजें थोड़ी जटिल हो जाती हैं। जब एक जटिल स्थिति उत्पन्न होती है, तो इस्लामी विद्वान इस्लाम के प्राथमिक स्रोत यानि क़ुरआन और सुन्नत का उपयोग न्यायसंगत और संतोषजनक निर्णय लेने के लिए करते हैं। कभी-कभी वे अन्य इस्लामी विद्वानों और न्यायाधीशों द्वारा दिए गए फैसलों से न्याय करते हैं।

आइए उदाहरण के लिए कार दुर्घटना में मरे एक निःसंतान दंपत्ति की दुखद स्थिति लेते हैं। सामान्य परिस्थितियों में जब पति या पत्नी की मृत्यु हो जाती है तो दूसरे को विरासत में से मिलता है। हालांकि, इस स्थिति में हमें नहीं पता कि दोनों में से किसकी मौत पहले हुई। इस तरह के एक मामले पर चर्चा करते हुए शेख उसैमीन (1925 - 2001 सीई) ने कहा कि पांच अलग-अलग परिदृश्यों में से एक लागू होगा। अधिक गहराई में न जाकर यह केवल यह दर्शाता है कि जटिल परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं, और विरासत के इस्लामी कानूनों को जानने वाले लोगों की सलाह लेना कभी-कभी आवश्यक हो जाता है।

वसीयत लिखना

वसीयत लिखना एक जटिल काम हो सकता है क्योंकि जैसा कि हमने देखा है कि विरासत कानून जटिल और बहुआयामी हैं। अपनी वसीयत लिखने से पहले, विरासत के इस्लामी कानूनों के जानकार किसी व्यक्ति से सलाह लेना बुद्धिमानी है। यह कोई शेख या इमाम हो सकता है, और यहां तक ​​कि एक मुस्लिम देश मे वकीलों और अदालत प्रणाली से सहायता लेने की सलाह दी जाती है। गैर-इस्लामिक देशों में सहायता लेना और भी महत्वपूर्ण है और इस्लामी वसीयत से निपटने वाली कानूनी फर्मों को ढूंढना आश्चर्यजनक रूप से आसान है।

उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलियाई न्यायिक प्रणाली किसी भी वसीयत को मान्यता देती है चाहे वह धार्मिक शिक्षाओं पर आधारित हो या धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर। ऑस्ट्रेलिया मे, वसीयत को धार्मिक या सांस्कृतिक स्वभाव के कारण अमान्य नहीं किया जाता है, हालांकि कानूनी अनौचित्य के आधार पर उन्हें अमान्य करार दिया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया मे वसीयत को मानसिक क्षमता, अनुचित प्रभाव और धोखाधड़ी सहित कई कारणों से चुनौती दी जा सकती है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपनी संपत्ति कैसे विभाजित करे और इसे सिर्फ इसलिए विवादास्पद नहीं माना जा सकता क्योंकि यह शरिया के अनुसार है।

प्रत्येक समझदार वयस्क मुसलमान के पास उचित रूप से तैयार वसीयत होने का एक कारण यह है कि कानूनी अनौचित्य के कारण इसके विवादास्पद होने की संभावना नहीं होगी। चाहे आप मुस्लिम या गैर-मुस्लिम देशो में हों, यदि किसी कानूनी फर्म द्वारा वसीयत तैयार की जाती है, तो प्रत्येक देश की कानूनी आवश्यकताओं का पालन किया जाता है। इन परिस्थितियों में किसी के लिए भी किसी भी कारण से वसीयत को विवादास्पद बताना बहुत मुश्किल हो सकता है। जब इस्लामी विरासत कानून के नियमों को विशेष रूप से स्वयं अल्लाह ने निर्धारित किया है, तो उन नियमों से अनजान व्यक्ति को अपनी संपत्ति का विभाजन करने की जिम्मेदारी देना नासमझी होगी।

वसीयत दस्तावेज़ में क्या शामिल होता है?

इस्लामिक वसीयत मे आपको निम्नलिखित मुख्य भाग मिलेंगे। वसीयत करने वाले को वसीयतकर्ता कहा जाता है।

1.प्रस्तावना - वसीयतकर्ता अपनी आस्था की घोषणा करता है।

2.दफ़न - इस खंड में वसीयतकर्ता निर्देश देता है कि उसका अंतिम संस्कार और दफन कैसे किया जाए।

3.ऋण - यहां वसीयतकर्ता सभी बकाया ऋणों का भुगतान करने के निर्देश देता है।

4.अल-वसियाह - यहां वसीयतकर्ता अपनी संपत्ति के 1/3 भाग के वितरण का निर्देश देता है।

5.शेष का वितरण - यह खंड शरिया के अनुसार शेष 2/3 भाग संपत्ति के वितरण को निर्धारित करता है।



फुटनोट:

[1] सहीह अल-बुखारी

[2] इब्न माजा

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