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वुज़ू (वूदू)

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द्वारा NewMuslims.com

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

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5

आवश्यक शर्तें

·हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 भाग)

उद्देश्य

·वुज़ू (वूदू) के गुणों को समझना।

·पहले पाठ में, हमने वुज़ू (वूदू) की मूल बातें पर चर्चा की। इस पाठ में, हम थोड़ा और विस्तार से वर्णन करेंगे कि वुजू कैसे करना है, और उस हदीस का उल्लेख करेंगे जिसमे यह विधि मिलती है।

अरबी शब्द

·नफ्ल - पूजा का एक स्वैच्छिक कार्य।

·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।

·वूदू - वुज़ू।

वुज़ू के गुण

अल्लाह की परम कृपा है कि वह हमें कुछ कार्यों का आदेश देता है, और फिर वो कार्य करने पर पुरस्कार भी देता है। इसी तरह वुज़ू करने के भी कई गुण हैं, जैसे पापों की क्षमा से लेकर न्याय के दिन पहचाने जाने का प्रतीक। निम्नलिखित कुछ हदीसों के उदाहरण हैं जिनमें इन पुरस्कारों का उल्लेख किया गया है।

(1) अल्लाह के दूत (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा:

“जब कोई मुसलमान या आस्तिक वुज़ू करता है और अपना चेहरा धोता है, तो वह हर छोटा पाप जो उसने देख कर किया था पानी (या पानी की आखिरी बूंद) से धुल जाता है। जब वह अपने हाथ धोता है, तो उसके हाथों का हर पाप पानी से (या पानी की आखिरी बूंद से) धुल जाता है। जब वह अपने पैर धोता है, तो उसके पैरो के हर पाप पानी से (या पानी की आखिरी बूंद से) धुल जाते हैं, जब तक कि वह शुद्ध और पाप मुक्त न हो जाए।” (मुस्लिम)

(2) अल्लाह के दूत ने कहा:

“क्या मैं आपको ऐसे कार्य के बारे में बता दूं जिसके द्वारा अल्लाह पापों को मिटाता है और पद को बढ़ाता है? उन्होंने (उनके साथियों ने) कहा, 'निश्चित रूप से, ऐ अल्लाह के दूत।' पैगंबर ने कहा, 'कठिन परिस्थितियों में वुज़ू करना, मस्जिद की तरफ कदम बढ़ाना और एक नमाज करने के बाद अगली नमाज का इंतजार करना। यह रिबात है[1].’” (सहीह मुस्लिम)

(3) अल्लाह के दूत एक कब्र स्थल से गुजरे और कहा:

“आप पर शांति हो, आस्तिकों का ठिकाना, और जल्द ही हम भी अगर अल्लाह ने चाहा तो, आप में शामिल होने वाले हैं। मुझे अपने भाइयों को देखना अच्छा लगता है।”

उनके साथियों ने कहा: "क्या हम आपके भाई नहीं हैं, अल्लाह के दूत?”

उन्होंने कहा: “तुम मेरे साथी हो; हमारे भाई वे हैं जो अब तक इस दुनिया में नहीं आए हैं।”

उनके साथियों ने कहा: "अल्लाह के दूत, आप अपने राष्ट्र के उन लोगों को कैसे पहचानोगे [प्रलय के दिन] जो अभी तक पैदा नहीं हुए हैं?”

उन्होंने उत्तर दिया: "मान लीजिए कि किसी व्यक्ति के पास घोड़ें है जिनके माथे और पैरों पर सफेद निशान हैं और अन्य सभी घोड़े पुरे काले हैं। तो मुझे बताओ, क्या वह अपने घोड़ों को नहीं पहचानेगा?”

उनके साथियों ने कहा: "निश्चित रूप से, ऐ अल्लाह के दूत।”

उन्होंने कहा: “उनके [जो अभी तक दुनिया मे नहीं आए हैं] मुंह, हाथ और पैर वुज़ू करने के कारण सफ़ेद होंगे, और मैं उनसे पहले हौज[2] पर पहुंचूंगा। जैसे आवारा ऊंटो को भगा दिया जाता है, वैसे ही कुछ लोग मेरे हौज से दूर भगा दिए जाएंगे। मैं पुकारूंगा: 'आओ, आओ।' तब मुझसे कहा जाएगा: 'इन लोगों ने आपके बाद धर्म (इसमें अलग से जोड़कर) को बदल दिया, और मैं कहूंगा: 'दूर रहो, दूर रहो।’” (सहीह मुस्लिम)

न्याय के दिन, मुसलमान अन्य लोगों से अलग दिखेंगे क्योंकि वुज़ू के कारण उनके शरीर के अंग चमक रहे होंगे।

“मेरे लोगों को न्याय के दिन उपस्थित होने के लिए बुलाया जाएगा जिनके चेहरों, हाँथ और पैर वुज़ू करने के कारण उज्ज्वल होंगे।” (अल-बुखारी)

वुज़ू करने की विधि

महान अल्लाह क़ुरआन में कहता है:

“ऐ विश्वासियों! जब नमाज़ के लिए खड़े हो, तो पहले अपने मुँह तथा हाथों को कुहनियों तक धो लो और अपने सिरों का मसह़ कर लो तथा अपने पावों को टखनों तक धो लो” (क़ुरआन 5:6)

पैगंबर मुहम्मद ने भी कहा:

“अल्लाह पवित्रता की अवस्था में हुए बिना की गई किसी भी प्रार्थना को स्वीकार नहीं करता है।” (मुस्लिम)

पैगंबर ने व्यावहारिक रूप से हमें सिखाया कि वुज़ू कैसे करना है, क्योंकि उन्हें क़ुरआन के रहस्योद्घाटन की व्याख्या करने के लिए भेजा गया था। निम्नलिखित चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका है जो बताती है कि वास्तव में क्या धोना है और कैसे, ये विभिन्न हदीस से एकत्र किया गया है।

(1) आपको मन में निश्चय करना है कि आपको धार्मिक अशुद्धता की स्थिति से पवित्र होना है[3]इसका मतलब यह है कि आपको यह सोचना चाहिए कि आप यह वुज़ू कर रहे हैं ताकि आप धार्मिक पवित्रता की स्थिति में आ सकें। यह इरादा दिल में होना चाहिए, इसे बोलना नहीं है।

(2) अल्लाह के नाम से शुरू करे और पढ़ें 'बिस्मिल्लाह'

(3) फिर अपने हाथों को तीन-तीन बार धोएं। शरीर के अंगों को धोते समय हमेशा दाईं तरफ से शुरु करना चाहिए।

(4) पानी को अपने मुंह के अंदर घुमाते हुए (गरारे करते हुए) तीन बार कुल्ला करें, और फिर अपने नथुने में थोड़ा पानी डालें और पानी को बाहर निकाल कर अपनी नाक को तीन बार धोएं। अपनी नाक से पानी निकालने के लिए अपने बाएं हाथ का प्रयोग करें।

(5) चेहरे को माथे के बाल से लेकर ठुड्डी और जबड़े की हड्डी तक, एक कान से ले कर दूसरे कान तक तीन बार धोएं। एक आदमी को अपनी दाढ़ी के बालों को गीला करना चाहिए क्योंकि यह चेहरे का हिस्सा है। अगर उसकी दाढ़ी पतली है तो उसे अंदर और बाहर से धोना है, और अगर यह मोटी है और त्वचा को ढकती है, तो सतह को धोना और अपनी गीली उंगलियों को दाढ़ी के बालों के बीच चलाना पर्याप्त है।

(6) फिर आपको अपने हाथों और बाहों को कोहनियों तक तीन बार धोना चाहिए, उंगलियों से शुरू करते हुए, नाखूनों सहित, कोहनी तक। हाथ धोने से पहले जो हांथो में जो कुछ भी लगा हो उसे हटाना आवश्यक है, जैसे आटा, मिट्टी, पेंट, नेल पॉलिश, और कुछ भी जो पानी को त्वचा तक पहुंचने से रोक सकता है।

(7) फिर नए पानी से अपने सिर और कानों को पोंछ लें। सिर को पोंछने का तरीका यह है कि अपने गीले हाथों को अपने माथे पर रखें और अपने बालों/सिर के ऊपर से ले जाते हुए अपने सिर के पीछे (अपनी गर्दन के पीछे) तक ले जाएं, फिर उन्हें वापस उस स्थान पर लाएं जहां से शुरू किया था। आपने कुछ लोगों को अपनी गर्दन के पिछले हिस्से को पोंछते हुए भी देखा होगा। यह कुछ ऐसा है जिसे कई देशों के मुसलमानों ने अभ्यास में अपना लिया है और ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि पैगंबर ने हमें ऐसा करना नहीं सिखाया था। फिर अपनी तर्जनी उंगली को अपने कानों में डालें और अपने अंगूठे से कानों के पिछले हिस्से को पोंछ लें। अगर बाल लंबे हों, चाहे वे खुले हों या बंधे हों, इसकी पूरी लंबाई को पोंछना आवश्यक नहीं है, बल्कि ऊपर बताए अनुसार अपने हाथों को सिर के सामने से पीछे की ओर ले जाना है।

(8) फिर अपने पैरों को पैर की उंगलियों से लेकर टखनों तक तीन बार धोना चाहिए।

(9) आपको शरीर के अंगों को सही क्रम मे धोना चाहिए, और ऐसा लगातार करना चाहिए, शरीर के प्रत्येक भाग को धोने के बीच एक लंबा समय नहीं लेना चाहिए।

शरीर के जिन अंगों को हमने तीन बार धोने को बोला है, वे दो बार या एक बार भी धोए जा सकते हैं, लेकिन जिन्हें हमने एक बार (सिर और कान) पोंछने को बोला है, उन्हें केवल एक बार पोंछना है।

पुरुषों और महिलाओं को एक ही तरह से वुज़ू करना है। जैसा कि आप में से अधिकांश लोग काम करते हैं, यह सीखना अच्छा रहेगा कि काम पर अपने मोज़े उतारने की परेशानी से बचने के लिए मोज़े के ऊपर कैसे वुज़ू करें। इसमें मूल रूप से हाथों को गीला कर के मोज़े के ऊपर से (सिर्फ पैर के हिस्से पर, टांगो पर नही) गुजरना शामिल है। आप इसके बारे में और अधिक यहांसे जान सकते हैं।

वुज़ू करने की विधि का प्रमाण अली की हदीस से मिलता है:

“फज्र की नमाज़ पढ़ने के बाद, 'अली अंदर आये और छत पर बैठ गया, और फिर एक युवा लड़के से कहा:' मेरे वुज़ू करने के लिए कुछ पानी लाओ।' लड़का उनके लिए एक कटोरा पानी और एक बेसिन लाया। 'अब्द खैर ने कहा 'हम बैठे थे और उन्हें देख रहे थे।' उसने कहा: उन्होंने अपने दाहिने हाथ से बर्तन को पकड़ा और अपने बाएं हाथ पर पानी लिया, और अपने हांथो को कलाई तक धोया। उन्होंने दोबारा अपने दाहिने हाथ से बर्तन को पकड़ा और अपने बाएं हाथ पर पानी लिया, और अपने हाथों को कलाई तक धोया। उन्होंने अपने हाथ कटोरे के अंदर तब तक नहीं डाले जब तक कि उन्होंने दोनों हाथ तीन बार नहीं धोए।

फिर उन्होंने अपना दाहिना हाथ कटोरे में रखा और तीन बार कुल्ला किया और तीन बार नाक को धोया, नाक को धोने के लिए उन्होंने अपने बाएं हाथ का उपयोग किया।

उन्होंने तीन बार अपना चेहरा धोया, अपने दाहिने हाथ को तीन बार कोहनी तक और फिर अपने बाएं हाथ को तीन बार कोहनी तक धोया।

फिर उन्होंने अपना दाहिना हाथ कटोरे में डाल कर पानी निकाल लिया, और दाहिने हांथ मे जितना पानी था उस से अपने बाएं हाथ को पोंछा, फिर उन्होंने एक बार दोनों हाथों से अपना सिर पोंछा।

उन्होंने अपने दाहिने हाथ से अपने दाहिने पैर पर तीन बार पानी डाला, उसे अपने बाएं हाथ से धोया, और फिर अपने दाहिने हाथ से अपने बाएं पैर पर तीन बार पानी डाला, उसे अपने बाएं हाथ से धो दिया।

तब उन्होंने कटोरे में हाथ डाला, और अपनी हथेली में थोड़ा सा पानी लेकर उसे पिया। फिर उन्होंने कहा, 'इस तरह अल्लाह के पैगंबर वुज़ू करते थे। जो कोई यह देखना चाहता है कि पैगंबर वुजू कैसे करते थे, तो ये रहा तरीका।’” [सहीह इब्न हिब्बन]

समय के साथ, आप इन प्रार्थनाओं को सीख सकते हैं जो पैगंबर ने खुद किया और वुज़ू (वूदू) करने के बाद हमें करने को कहा।

1.“अश-हदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाह वह दहु ला शरी-क लह व अशदुहु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु”

“मैं गवाही देता हु के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं। और मैं गवाही देता हु कि (हज़रत) मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।”

2.“अल्लाहुम्म जअलनी मिना तव्वाबीन व जअलनी मीनल मुततातह्हिरिन।”

“ऐ अल्लाह, मुझे उन लोगों में से बनाओ जो अक्सर आपके पास पश्चाताप करते हैं और मुझे शुद्ध रहने वालों में से बना।”

3.“सुभानक अल्लाहुम्मा वा बिहमदिक, अश-हदु अल्लाह इल्लाहा इल्ला अंत, अस्तगफिरुका व अतूबु इलैक।”

“ऐ अल्लाह आप कितने पूर्ण हैं, और मैं आपकी प्रशंसा करता हूं, मैं गवाही देता हूं कि आपके अलावा कोई अन्य पूजा के लायक नहीं है, मैं आपकी क्षमा चाहता हूं और आपसे पश्चाताप करता हूं।’



फुटनोट:

[1]रिबात एक ऐसा शब्द है जो आम तौर पर दुश्मन के हमले से इस्लामी राष्ट्र की सीमाओं की 'रक्षा' को दर्शाता है, जिसका इस्लाम में बड़ा इनाम है।

[2]सिस्टर्न, या अरबी में 'हौद': वह जलाशय जिससे पैगंबर अपने अनुयायियों को न्याय के दिन दूध से अधिक सफेद पेय देंगे, जिसके बाद उन्हें फिर कभी प्यास नहीं लगेगी।

[3] यह वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति पेशाब, शौच आदि करने के बाद चला जाता है।

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